Ananya Pandey

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रहना हैं तेरी पनाह में

रहना हैं तेरी पनाह में
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कच्चे धागे से बंधी
तुम्हारे प्रीत की डोर थामे
चली आई थी ..
बाबुल के आँगन को छोड़कर
प्रेम के आशियाने में
अपने आँचल में लिए मुठ्ठी भर अरमान

तुम मानो न मानो-मगर ये सच है
तुम्हारे साथ ----
उस प्रणय परिक्रमा में 
देते हुए ,लेते हुए उन वचनों के साथ
कुछ सवाल पूछ रही थी
अपने बंध रहे पवित्र रिश्ते से

क्या ..?यशोधरा सी मुझे 
गहरी नींद में 
बुद्ध की तरह खुद की तलाश में 
छोड़ तो न जाओगे
कृष्ण बनकर अधर्म का नाश करने 
राधा की तरह मुझको 
विरह वियोग में तो न तड़पाओगे..?

मेरे आराध्य--
मत देना कोई शगुन ,कोई वचन 
बस मुझको रखना साथ 
इस जहाँ से उस जहाँ तक
मेरे मन और मौन को पढ़ना
जुड़ना ऐसे ---जैसे देह से प्राण
कभी खण्डित न होने देना 
एकनिष्ठ पूजा के लिए 
स्थापित की है जो मैंने तुम्हारी मूरत
अपने मन के पूजागृह में

शायद! ही कहीं होता होगा कभी
मन से मन का आलिंगन
जैसे हमारा हुआ 
जब दिया तुम्हारे मौन ने मुस्कुराकर स्वीकृति 
मेरे मन मे उठ रहे सभी प्रश्नों के
और कहा----

                               "प्रिय!एक तेरी आरजू और 
                                तसव्वुर भी तेरा
                                लबों पर नाम तेरा और फ़िक्र तेरी
                                जब जब लिखने बैठूँ
                                पन्नों पर उतारूँ हर्फों में तुझको
                                 मुहब्बत की तरह 
                                 है वादा रहे दोनों साथ सदा
                                 जैसे-जगमगाता रहे बाती और दिया

आभार है तुम्हारा ---
तुमने उस रोज़ परिक्षित मेरी माँग में 
जब भरा अपने नाम का सिंदूर 
पवित्र प्रेम के गवाही बनेने
चले आये थे उतरकर आसमाँ से
झिलमिलाते सारे चाँद सितारें...!!

              //एक प्रार्थना सदा मेरी ईश्वर से 
                बनी रहे जोड़ी प्रेम और विश्वास की//

.....तेरे दिल में जगह मिली
तो यूं लगा कि जैसे
खुदा के दर पे पनाह मिली
जिन्दगी के सफर का बोझ
कुछ हल्का हुआ
जन्नत की खुली बाहें जो मेरी
मंजिल बनी।.....................

प्रिया पाण्डेय "रोशनी"

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7 Comments

Kaveri Lily

09-Sep-2021 01:29 PM

बहुत सुंदर रचना

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Nitish bhardwaj

09-Sep-2021 12:31 PM

वाह बहुत खूब

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Sapna shah

09-Sep-2021 11:57 AM

Nice

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